हिंदी

भाषा को भावों और विचारों की अभिव्यक्ति और आदान- प्रदान का साधन माना जाता है किन्तु भाषा का इससे कही अधिक महत्त्व यह है कि भाषा ही भावों की उद्भाविक शक्ति है , विचारों की जननी है मातृभाषा पर अगर विचार करें तो यह व्यक्तित्व निर्माण , अस्मिता की पहचान और समाजीकरण का सबसे सार्थक माध्यम है

माध्यमिक विभाग में हिंदी भाषा शिक्षण का मूल आधार भाषा की उपरोक्त शक्तियों का विकास ही है बच्चों में सुनने , बोलने , पढ़ने व लिखने के आधारभूत कौशलों को सार्थक संदर्भ सहित विकसित व पल्लवित करने में उनकी सहायता करना है अधिकांश बच्चों की पहली भाषा " हिंदी " उनके परिवेश में बहुतायत में बिखरी रहती है इसी भाषा परिवेश में बच्चे अपने भाषाई कौशलों का प्रयोग कैसे करें और कैसे उन्हें 21 वी सदी की मांग के अनुरूप विकसित करें यही हमारे शिक्षण का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है

इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए बच्चों को हिंदी विधा के साहित्यकारों की कृति , विश्व साहित्य का अनुवाद , सोशल मीडिया , नाटक , सिनेमा , पत्रिका आदि विभिन्न माध्यमों से जुड़ने और समाज व अपने परिवेश की समझ विकसित करने का अवसर प्रदान किया जाता है ताकि बच्चे शुद्ध , सटीक व सार्थक भाषा में विचारों का आदान - प्रदान कर सकें